Vatsa Gotra In Hindi :- क्या आप जानना चाहते हैं, की गोत्र क्यों जरूरी है ?, गोत्र से हमारा क्या संबंध ? गोत्र में Vatsa Gotra क्या है ? कितने प्रकार के गोत्र होते है ?
अगर आपके मन में ये सारे प्रश्न है और आप इन सभी विषयों पर जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं।
आज हमारे लेख में इन्ही सभी विषयों पर विस्तृत वर्णन किया जाएगा। यह लेख आपको गोत्र के विषय में नाना प्रकार की जानकारी देने के लिए ही है।
हमारा मुख्य लक्ष्य Vatsa Gotra के बारे में विस्तार से बताना है । अतः आपसे अनुरोध है कि अंत तक इस आर्टिकल को पढ़े जिससे आपको सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।
Gotra In Hindi
गोत्र एक संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ “गौत्र “है जिसका तात्पर्य गायों का वंश। दरअसल वैदिक काल से ही गोत्र का प्रचलन है। वास्तव में कुछ समूह के लोग, जो एक परिवार का निर्माण करते है, वो एक मूल ऋषि को आधार मानकर समूह के लोगो को एक ही मानकर एक ही नाम देते है और ऐसा मानते है, की यह मूल ऋषि हमारे पूर्वज है। इसी को गोत्र कहते हैं।
पौराणिक काल से ऐसी मान्यता है, कि इस संसार को बढ़ाने के लिए 7 ऋषि ने गृहस्थ जीवन को अपनाया। इन्हीं 7 ऋषियों के नाम पर 7 गोत्र की उत्पत्ति हुई।
विभिन्न गोत्रों के नाम
हमारे भारतीय संस्कृति में 7 गोत्र का उल्लेख है । जो निम्नलिखित है :-
1.वत्स गोत्र _ यह गोत्र ब्राह्मण समाज के अंतर्गत आता है। वत्स गोत्र के लोग गौतम ऋषि को अपना पूर्वज मानते है।इस गोत्र का मुख्य उद्देश्य यज्ञ का संचालन करना और धर्म का अनुकरण करते हुए कार्य करना ।
2. भरद्वाज गोत्र_ इस गोत्र के लोग भारद्वाज ऋषि को अपना पूर्वज मानते हैं। भारद्वाज गोत्र के लोगों का मुख्य उद्देश्य वेदों का ज्ञान और वेदों को ज्ञान को समृद्ध करना है।
3. कश्यप गोत्र_ कश्यप गोत्र के लोग कश्यप ऋषि को अपने पूर्वज मानते हैं। इस गोत्र का मुख्य उद्देश्य प्रजा का कल्याण करना है।
4. विश्वामित्र गोत्र_ यह लोग अपने वंशावली में ऋषि विश्वामित्र को अपना पूर्वज मानते हैं। विश्वामित्र गोत्र का मुख्य उद्देश्य समाज के लोगों का कल्याण करना इन्हें चिकित्सा, वाणिज्य शिक्षा और आध्यात्मिक ज्ञान की जानकारी प्रदान करना ही इनका का मुख्य उद्देश्य है।
5. जमदग्नि गोत्र _ जमदग्नि गोत्र के लोग ऋषि जमदग्नि को अपने पूर्वज के रूप में स्वीकार करते है। इनका मुख्य उद्देश समाज के लोगों का कल्याण करना और इन्हें धर्म, नैतिकता ,ज्ञान आदि सभी की जानकारी प्रदान करना ही उनका उद्देश्य होता है।
6. गौतम गोत्र_ गोत्र के लोग अपने वंशावली के स्वरूप में ऋषि गौतम को अपना पूर्वज स्वीकार करते हैं। गौतम गोत्र का मुख्य उद्देश्य लोगों का कल्याण करना होता है।
7. अत्रि गोत्र_ अत्री गोत्र के लोग ऋषि अत्रि को अपना पूर्वज मानते हैं। गोत्र का मुख्य उद्देश्य समाज के लोगों का कल्याण करना इन्हें धर्म नैतिकता ज्ञान आदि की जानकारी देना होता है।
Vatsa Gotra जैसा कि हमने आपको बताया वत्स गोत्र के लोग ऋषि गौतम को अपना पूर्वज मानते हैं। ज्यादातर लोग इस गोत्र को मानने वाले उत्तर भारत में ही मिलते हैं, साथ ही साथ वत्स गोत्र को मानने वाले उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार , मध्य प्रदेश , राजस्थान, पंजाब, हरियाणा जैसे क्षेत्रों में भी मिल जाते हैं।
Vatsa Gotra के लोगों का मुख्य व्यवसाय वैदिक ज्योतिष ,शास्त्रों का अध्ययन और पंडित होता है।
Vatsa Gotra का क्या महत्व है ?
भारतीय समाज में गोत्र का बहुत ही महत्व है, हम किसी भी सांस्कृतिक त्योहारों में या किसी भी शुभ अवसर पर अपने गोत्र को स्मरण करते हैं। ज्यादातर गोत्र का महत्व भारतीय विवाह में देखने को मिलता है।
जब किसी भी पुरुष एवं महिला विवाह के बंधन में बसते हैं तो गोत्र के माध्यम से उन्हें उनके पूर्वजों का स्मरण कराया जाता है। अतः हम कह सकते है कि गोत्र के बिना किसी भी पुरुष एवं महिला का विवाह होना मुश्किल है।
क्योंकि गोत्र के माध्यम से ही मनुष्य को अपने वंश का इतिहास,उसकी संस्कृति, उसकी उत्पत्ति तथा अपने वंशजों के प्रति के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे यदि पुरुष एवं महिला जो विवाह के बंधन में बंधने वाले होते हैं यदि वो एक ही गोत्र के होते है तो ये विवाह नही होता । इसलिए ऐसा माना जाता है कि विवाह अक्सर दूसरे गोत्र में ही करते हैं।
Vatsa Gotra की कुलदेवी
किसी भी ईश्वर को अपने समाज के कल्याण के लिए पूजा करना एवं उन पर असीम श्रद्धा रखना ऐसे ईश्वर को कुलदेवी या कुलदेवता के रूप में जानते हैं। Vatsa Gotra के लोग माता शची जो कि इंद्र भगवान की पत्नी है उन्हें अपने कुलदेवी के रूप में मानते हैं।
Vatsa Gotra में उल्लेखित विभिन्न जाति
जैसा कि हमारा समाज कई सारी जातियों में विभाजित है लेकिन क्या आप जानते हैं वत्स गोत्र में कितनी जातियां आती हैं। आइए जानते हैं कि वत्स गोत्र के अंतर्गत कितनी जातियां हैं जिसका उल्लेख हम नीचे कर रहे हैं।
- वत्स
- अगु
- द्रिवेदी
- त्रिवेदी
- चतुर्वेदी
- पांडे
- मिश्रा
- तिवारी
- दीक्षित
- श्रीवास्तव
आपने ये सभी सिरनेम को सुना ही होगा। ये सभी सरनेम के लोग Vatsa Gotra के अंतर्गत आते है।
सबसे बड़ा गौत्र कौन सा होता है ?
आपके मन में जिज्ञासा है, कि ब्राह्मणों में सबसे बड़ा गोत्र कौन सा है तो आज हम आपको बताएंगे कि कौन सा गोत्र सबसे बड़ा है। दरअसल ब्राह्मणों में सबसे बड़ा गोत्र भारद्वाज गोत्र को माना गया है। भारद्वाज गोत्र के लोग भारत के विभिन्न हिस्सों में पाए जाते हैं जैसा कि हम जानते हैं कि भारद्वाज गोत्र के लोग ऋषि भारद्वाज के वंशज हैं।
Vatsa Gotra का इतिहास क्या है ?
वत्स गोत्र का एक इतिहास है जिसे पौराणिक कथाओं में उल्लेखित किया गया है ऐसा कहा जाता है कि महर्षि च्यवन और महाराज श्यार्त पुत्री सुकन्या के पुत्र राजकुमार दघीची को दो पत्नी थी, जिसमें पहली पत्नी का नाम सरस्वती और दूसरी पत्नी का नाम अक्षमाला था।
पहली पत्नी सरस्वती के पुत्र का नाम शाश्वत और दूसरी पत्नी के पुत्र का नाम वत्स था। जी वही वर्ष है जिन्होंने बाद में संसार के कल्याण के लिए गृहस्थ जीवन को अपनाया और एक गोत्र का निर्माण किया।
वत्स गोत्र का प्रवर कौन कौन से है ?
वत्स गोत्र में निम्नलिखित प्रवर का उल्लेख है।
- भार्गव
- च्यवन
- आप्रवान
- और्वे
- जमदग्नि
Vatsa Gotra के वंशज कौन है ?
वत्स गोत्र में कई सारे वंशजों का उल्लेख है जो कुछ इस प्रकार है_
- शोनभद्र
- ब्राह्मण
- बछगोतीया
- बागोछीया
- दोनवार
- जलेवार
- शमसेरीया
- हथेरिया
- गानमिश्र
- दनिसवार आदि।
वत्स जाट गोत्र की क्या शाखाएं है ?
क्या आप जानते हैं ? चौहान गोत्र वत्स गोत्र की ही शाखा है। दरअसल चौहान गोत्र के लोग राजपूत गोत्र की विशाखा को मानते है।ये सखाए कुछ इस प्रकार हैं :-
- फोगाट
- नरवाल
- देवड़ा
- हाड़ा
- बूरडक
ये सभी सखाएं ज्यादातर खीरी, शाहाबाद, पटना, दियरा, सुल्तानपुर, छपरा, मुजफ्फरपुर आदि क्षेत्रों में मिलते हैं।
FAQ’s – Vatsa Gotra In Hindi
प्रश्न 1. गोत्र क्या है ?
उत्तर :- गोत्र एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ "गायों के वंश" है।
प्रश्न 2. भारतीय संस्कृति के अनुसार कितने गोत्र है ?
उत्तर :- भारतीय संस्कृति के अनुसार 7 गोत्र है।
प्रश्न 3. वत्स गोत्र के पूर्वज किस ऋषि को माना गया है ?
उत्तर :- वत्स गोत्र के लोग ऋषि गौतम को अपना पूर्वज के रूप में स्वीकार करते हैं।
प्रश्न 4. वत्स गोत्र की कुलदेवी किसे माना गया है ?
उत्तर :- वत्स गोत्र की कुलदेवी देवी शची ( इंद्र देव की पत्नी ) को माना जाता है।
प्रश्न 5. कौन कौन सी जगह वत्स गोत्र के लोग मिलते हैं ?
उत्तर :- वत्स गोत्र के लोगो का विस्तार उत्तर भारत में साथ ही साथ वत्स गोत्र को मानने वाले उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश, बिहार ,मध्य प्रदेश ,राजस्थान,पंजाब, हरियाणा जैसे क्षेत्रों में भी मिल जाते हैं।
प्रश्न 6. सबसे बड़ा गोत्र किस गोत्र को माना जाता है ?
उत्तर :- ब्राह्मणों में सबसे बड़ा गोत्र भारद्वाज गोत्र को माना गया है।
निष्कर्ष :-
हम उम्मीद करते है, कि वत्स गोत्र के विषय में आपको हमारे इस आर्टिकल के माध्यम से संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी। हमारा Vatsa Gotra In Hindi ? गोत्र की उत्तपति कैसे हुई ?, गोत्र महत्व क्या है और वत्स गोत्र को विस्तृत वर्णन करना था।
आशा है, की इस लेख के माध्यम से आप अपने कई सारे प्रश्नों का उत्तर प्राप्त कर लिए होंगे। आपको हमारा आर्टिकल कैसा लगा कमेंट बॉक्स में हमे जरूर बताएं।
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